वशुधैव कुटुम्बकम, विश्वगुरु, विश्वबंधुतव का नारा सुन ही राहे है..अगर इनका शाब्दिक अर्थ समझते तो यह बहस ही नहीं होती यैसे में इन सब नारो के बीच यह कहा जारहा है यह आदमी बाहर जाकर कह रहा फिर यह बाहर कैसे हुआ.. यैसे में यह कहना की कांग्रेस सांसद राहुल गांधी द्वारा यह कहना की … Continue reading सत्ता पक्ष और विपक्ष ने देश की अंदरूनी समस्याओं पर विदेशी जमीन पर बाते की पर माफ़ी एक ही क्यू मांगे…(राकेश परिहार की कलम से)
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